Sunday, April 17, 2022

राजशेखर कृत कर्पूरमंजरी क भाषा





कर्पूरमंजरी संस्कृतक प्रसिद्ध नाटककार आ काव्यमीमांसक राजशेखर द्वारा रचित प्राकृत भाषामे लिखल नाटक अछि । प्राकृत भाषाक विशुद्ध साहित्यिक रचनामे एहि कृतिक विशिष्ट स्थान अछि। ई मूलत: एकटा सट्टक अछि । साहित्यदर्पणक अनुसार सट्टक आदि सँ अंत धरि प्राकृत भाषामे रचित होइत अछि, संस्कृतक नाटक जेंका एहिमे खाली किछु पात्र प्राकृत भाषामे रचित नहि होइत अछि । एहिमे अद्भुत रसक वैशिष्ट्य होइत अछि । अंकक लेल जवनिकांतर शब्दक प्रयोग होइत अछि । शेष गपमे सट्टक प्राय: नाटिका जेना होइत अछि । दुनूमे शीर्षक नायिकाक नाम पर होइत अछि।

प्राकृत भाषामे पाँचटा सट्टकक प्रसिद्धि अछि । ई अछि विलासवती, चंदलेहा, आनंदसुंदरी, सिंगारमंजरी आओर कर्पूरमंजरी । एहिमे विलासवतीक अलावे सभटा ग्रन्‍थ उपलब्ध अछि । एहिसभमे कर्पूरमंजरी सर्वोत्कृष्ट आओर प्रौढ़ रचना अछि । राजशेखरक संस्कृत आओर प्राकृत भाषा पर असाधारण अधिकार छल । ओ सर्वभाषानिषणण कहल जाइत छलाह । कर्पूरमंजरीक प्राकृत प्रौढ़ आ प्रांजल अछि । पहिने कहल जाइत छल जे एकर पद्यभाग शौरसेनी प्राकृत मे अछि मुदा डॉ॰ मनमोहन घोष एकरा अपन मत सँ अमान्य सिद्ध कए देलनि । एहिमे मुख्यत: शौरसेनीक प्रयोग भेल अछि । एहिमे कवि स्रग्धरा, शार्दूलविक्रीडित, बसंततिलका आदि संस्कृतक छंदकेँ प्रौढ़ आ सफल प्रयोग केलनि अछि । प्राकृतक छंद सेहो एहिमे अछि । प्राकृतमे एहि सट्टककेँ लिखबाक कारण कर्पूरमंजरीमे कवि बतेलनि जे संस्कृत बंध पुरुष होइत अछि आओर प्राकृत भाषाक बंध सुकुमार। दुहुमे पुरुष आओर ललनाक समान अंतर अछि । प्राकृत भाषाक प्रौढ़ आद्यंत प्रयोगक कारण एहि सट्टकमे देखाओल गेल अछि जे राजा चंद्रपाल कुंतलराजपुत्री कर्पूरमंजरी सँ विवाह ककए चक्रवर्तीपद प्राप्त केलनि । ऐंद्रजालिक भैरवानंद इंद्रजाल द्वारा एहिमे अद्भुत रसक योजना केलनि अछि ।

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