भाषाक
वर्गीकरण मूल रूपे दू प्रकार स अछि, अयोगात्मक आ योगात्मक । योगात्मक क
अनुसार भाषा क उतपति कोनो न कोनो योग स भेल अछि । ई योग दु प्रकार तत्त्व क होएत
अछि 1) अर्थ तत्त्व 2) संबंध तत्त्व अर्थ तत्व मने मूल तत्व आ सम्बन्ध तत्त्व मने
रूप तत्व । एहि प्रकार स देखल जाए त प्रकृति आ प्रत्ययक योग स शब्द सभक रचना होएत
अछि । एहिक अनुसार शब्दक स्वतंत्र
अस्तित्व नहि अछि । विश्वक सभसे बेसी भाषा योगात्मके अछि ।
योगात्मक
भाषा मे मूल शब्द मे विभक्ति और प्रत्यय क
योग रहैत अछि ।कखनहु प्रकृति तत्व मे उपसर्ग क प्रयोग सेहो होइत अछि । प्रकृति
शब्द क मूल तत्व अछि जे अर्थ क आधार अछि । प्रत्यय ओकरा स्पष्ट कैनिहार ब्यापार क
अंश अछि । और उपसर्ग प्रकृति - प्रत्ययक योग सं उत्पन्न शब्दार्थ क द्योतक अथवा
रूपान्तरक होइत अछि । एहि तरहें अधिकांश शब्द क निष्पत्ति मे तीनू तत्व आवश्यक
होइत अछि ।
एहि
तरहें स्पष्ट कएल जा सकैछ -------
उपसर्ग + प्रकृति +प्रत्यय = शब्द
द्योतक +अर्थ तत्व + ब्यापार
यथा
उपसर्ग
प्रकृति प्रत्यय
प्र
+ चर् +घञ् =प्रचार
प्र +
ह्र + घञ्
= प्रहार
उपसर्ग
मुख्यतः कृदन्त शब्द मे लगैत अछि तद्धित मे नहि।
एकर
प्रायः तीन भेद होइत अछि ------
(क)
अश्लिष्ट योगात्मक
(ख)
श्लिष्ट योगात्मक
(ग)
प्रश्लिष्ट योगात्मक
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