Sunday, February 7, 2021

मैथिली आ संस्कृतक उद्भट विद्वान पण्डित गोविंद झा

 




मैथिली आ संस्कृतक उद्भट विद्वान पण्डित गोविंद झा जतबे पैघ भाषा वैज्ञानिक छथि ततबे सरस साहित्यकार सेहो । अहाँक रुचि जेहन अनुसन्धान मे छथि तेहने नाटक, कविता, आ कथा में सेहो । भाषा विज्ञान पर हिनक पोथी बेस प्रसंसनीय अछि । व्याकरण आ छंदशास्त्र पर सेहो हिनक मज़बूत पकड़ छथि । हिनक प्रकाशित पोथी मे बसात, राजा शिव सिंह, मैथिली व्याकरण, अंतिम प्रणाम, लघु विद्योतन  आदि प्रमुख अछि ।

 

श्री झाक जन्म 10 अक्टूबर 1923 कए मधुबनी जिलाक इसहपुर गाम मे भेल छल । हिनक पिताजी महावैयाकरणाचार्य पंडित दीनबंधु झा छलनि, जिनकर प्रभाव हिनका पर बेस रुपे आयल । हुनके सानिंध्य मे अहाँ विद्यार्जन केलहुँ जाहि सँ अहाँक व्याकरण, छंदशास्त्र , साहित्य, दर्शन आ संस्कृतक सेहो नीक ज्ञान भेटि गेलनि ।

 

हिनकर तीन गोट मौलिक नाटक प्रकाशित अछि जाहि मे अंतिम प्रणाम, आ बसात सामाजिक समस्या पर आधारित अछि आ राजा शिव सिंह ऐतिहासिक घटना पर । नाटकक अतिरिक्त अहाँ एकांकी, आ कथा सेहो समान रूप से लिखैत छलहुँ । हिनक कविता प्रसादगुण सँ युक्त, वर्ण विन्यास, भावपूर्ण आ मार्मिक होत अछि । अहाँ प्रगतिशील लेखक सेहो छलहुँ । हिनक कविता मे ओज अछि तँ प्रेमो अछि, उपेक्षा अछि तँ सहानुभूतियो अछि ।

 

भाषा विज्ञान पर हिनक काज अद्भुत अछि 'मैथिली भाषा का विकास', 'मैथिलीक उद्गम ओ विकास' आदि पोथी मैथिली भाषा विज्ञानक संभवतः पहिल पोथी थीक ।

 

अहाँ विद्यापतिक विभागसागर कs टीका सेहो केने छी, मिथिला तत्व विमर्श केर सम्पादन सेहो अहींक हाथे भेल छल । कुल मिलाकs पंडित गोविंद झाजीकेँ अवदान मैथिली साहित्यक लेल एकटा गौरवक विषय थीक । ओ एकटा एहन लिविंग लीजेंड छल जिनका पर मिथिला गर्व करैत अछि ।

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