मैथिली
आ संस्कृतक उद्भट विद्वान पण्डित गोविंद झा जतबे पैघ भाषा वैज्ञानिक छथि ततबे सरस
साहित्यकार सेहो । अहाँक रुचि जेहन अनुसन्धान मे छथि तेहने नाटक, कविता, आ कथा में सेहो । भाषा विज्ञान पर हिनक पोथी
बेस प्रसंसनीय अछि । व्याकरण आ छंदशास्त्र पर सेहो हिनक मज़बूत पकड़ छथि । हिनक
प्रकाशित पोथी मे बसात, राजा
शिव सिंह, मैथिली व्याकरण, अंतिम प्रणाम, लघु विद्योतन आदि प्रमुख अछि ।
श्री झाक जन्म 10 अक्टूबर 1923 कए मधुबनी जिलाक इसहपुर गाम मे भेल छल । हिनक पिताजी महावैयाकरणाचार्य पंडित दीनबंधु झा छलनि, जिनकर प्रभाव हिनका पर बेस रुपे आयल । हुनके सानिंध्य मे अहाँ विद्यार्जन केलहुँ जाहि सँ अहाँक व्याकरण, छंदशास्त्र , साहित्य, दर्शन आ संस्कृतक सेहो नीक ज्ञान भेटि गेलनि ।
हिनकर
तीन गोट मौलिक नाटक प्रकाशित अछि जाहि मे अंतिम प्रणाम, आ बसात सामाजिक समस्या पर आधारित अछि आ
राजा शिव सिंह ऐतिहासिक घटना पर । नाटकक अतिरिक्त अहाँ एकांकी, आ कथा सेहो समान रूप से लिखैत छलहुँ ।
हिनक कविता प्रसादगुण सँ युक्त, वर्ण
विन्यास, भावपूर्ण आ मार्मिक होइत अछि । अहाँ
प्रगतिशील लेखक सेहो छलहुँ । हिनक कविता मे ओज अछि तँ प्रेमो अछि, उपेक्षा अछि तँ सहानुभूतियो अछि ।
भाषा
विज्ञान पर हिनक काज अद्भुत अछि 'मैथिली
भाषा का विकास', 'मैथिलीक उद्गम ओ विकास' आदि पोथी मैथिली भाषा विज्ञानक संभवतः
पहिल पोथी थीक ।
अहाँ विद्यापतिक विभागसागर कs टीका सेहो केने छी, मिथिला तत्व विमर्श केर सम्पादन सेहो अहींक हाथे भेल छल । कुल मिलाकs पंडित गोविंद झाजीकेँ अवदान मैथिली साहित्यक लेल एकटा गौरवक विषय थीक । ओ एकटा एहन लिविंग लीजेंड छल जिनका पर मिथिला गर्व करैत अछि ।
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