Thursday, August 8, 2019

भूमिहार = जिमी दार

चम्पारण जिला की जमींदारी उस समय प्रबल पराक्रमी गजसिंह के हाथों थी । ये लोग 'मूर्धवसक्त' नाम के याज्ञवल्क्य द्वारा रचित विज्ञानभिक्षु (मिताक्षराकार) के व्यख्यानुसार क्षत्रिय से उच्च त्रिकर्म्मा होकर अपने आपको ब्राह्मण समझने लगें । चुकी आप खेती भी करते थे इसलिए भूमिदार ब्राह्मण कहाने लगे ।

जब यहाँ मुसलमान का शासन हुआ तब 'दार' शब्द का विदारण शब्द हटाकर जिमीदार शब्द का व्यवहार करने लगे । चुकी जिमी शब्द उर्दू या फारशी में भूमिवाचक दृधातु के अर्थ में विदारण के साथ भी समान रूप से उपयोग होने लगा, इसलिए मदार-महार में समानता देख दार शब्द के स्थान में हार शब्द का प्रयोग होने लगा ।


बाद में दूसरे की भूमि बलपूर्वक हरण करने के कारण जिमिहार शब्द अपमार्जित होकर भूमिहार बन गया।

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