Thursday, August 8, 2019

जब चेला है राजी तो क्या करेगा काजी ?

म० म० महेश ठाकुर के शिष्य रघुनंदन झा और मुल्ला के शास्रार्थ में मुल्ला को पराजित करने के बाद, बादशाह अकबर ने मिथिला राज्य का शाही फरमान रघुनन्दन झा के नाम कर दिया । लेकिन गुरुभक्ति में रघुनन्दन झा ने मिथिला राज्य का शाही फरमान गुरु के नाम करने का आग्रह किया । कई दिनों तक बहस होती रही, राजा के मंत्री और बिरवल इस पर मंत्रणा करते रहें लेकिन फरमान बदलने का कोई साधन निकल नही रहा था । इसी बीच राजा मानसिंह के कहने पर म० म० महेश ठाकुर को संस्कृत भाषा में अकबरनामा लिखने का अनुरोध किया गया । जिन्हें म० म० महेश ठाकुर ने सहर्ष स्वीकार कर लिया । लिखने के क्रम में उनका अकबर के माताजी के कक्ष में जाने का अवसर मिला । किसी बेटे की कथा माँ से ज्यादा और किसे मालूम हो सकता है, म० म० महेश ठाकुर माताजी को पुराणों की कथा भी सुनाते और उनसे जानकारी लेकर अकबरनामा (वर्तमान में ये किताब, लंदन के सम्राट पुस्तकालय में हैं, जिनकी एक प्रति बोली लगाकर मिथिला नरेश रामेश्वर ठाकुर 9 हज़ार रुपए खर्च के दरभंगा के राज पुस्तकालय में रखवाएं थे) भी लिखते रहें । म० म० महेश ठाकुर के काम से प्रसन्न होकर उनकी माताजी ने इन्हें कुछ पारितोषिक देने के लिए बीरबल से मंत्रणा की, बीरबल ने उन्हें उनके शिष्य के मिले फरमान को गुरु के नाम करवाने का आग्रह किया, इस पर माताजी ने पूछा कि चेला राजी है ? इसपर बीरबल ने रघुनन्दन झा को उनके समीप खड़ा कर दिया । रघुनंदन झा की भक्ति और उनका गुरु के प्रति सम्मान देखकर अकबर की माताजी ने बीरबल को कहा, 'चेला राजी तो क्या करेगा काजी' उनको आज ही फरमान इनके नाम लिखवाने का हुक्म दिया। और इस तरह मिथिला का राज्य म० म० महेश ठाकुर के नाम हुआ ।

No comments:

Post a Comment

आपकी प्रतिक्रिया सादर आमंत्रित हैं