Thursday, August 8, 2019

आइये जश्न मनाइए, बेटी रोटी का संबंध हो गया कश्मीरियों के साथ ।



मेरे वाल पर एक से ए कुतर्क आ रहे हैं कि कश्मीरियों को डराया जा रहा है ? डल झील में छठ मनाने की बात हो रही है, और गुलमर्ग में प्लाट खरीदने की बात हो रही है, और तो और कश्मीरियों से शादी की बात भी हो रही है ।

तो इसमें गलत क्या है, भाई ? हिन्दू मुश्लिम और ईसाई आपस मे सब भाई-भाई कहते तो तुम्हारी जुबान नही थकती थी । अब हमने भारत कश्मीर भाई-भाई कह दिया तो तुम्हारे पेट मे मरोड़ होने लगा । क्यों भला ? अगर हमने कश्मीर में छठ मना लिया तो उसका नुकसान कैसे होगा, उल्टा उसका तो भला ही होगा, उनकी बिक्री बढ़ेगी, होटल से लेकर खाने तक का व्यवसाय बढ़ेगा तो फिर दिक्कत क्या है ।


कश्मीर में ली मेरिडियन और ताज खुल पाएगा, बड़े बड़े मॉल खुलेंगे, अर्थव्यवस्था सुदृढ होगी तो लोग भी पटरी पर लौटेंगे । उनको भी लगेगा कि कमाई हो रही तो पत्थरबाजी छोड़ आम इंसानों की तरह रहेंगे ।

कश्मीर का एक होना मेरे लिए सहरसा दरभंगा पुल के बनने जैसा है । ऐसा लग रहा है जैसे बेटी-रोटी का संबंध जुड़ गया हो । तो आइए जश्न मनाइए, हम फिर से एक हो गए ।

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