Thursday, August 1, 2019

खाने का धर्म और धर्म का खाना

जोमैटो पर पंडित जी के ट्वीट ने सोशल मीडिया पर तूफ़ान ला दिया है । सिर्फ इस बात के लिए की उसके खाने को लाने वाला एक मुसलमान था । भले ही आर्डर बिरयानी हो, लेकिन बनाया हिन्दू ने हो, काटा हिन्दू ने हो और मशाला तो भाई रामदेव के फैक्ट्री का हो तभी जमेगा, और हाँ... बता दें कि ये वही पण्डित जी हैं जिसने तस्लीमा नसरीन को उसके स्तन अच्छे हैं कहते हुए ट्वीट किया था । लेकिन नाम के आगे पण्डित लगा लेने से इनके पाप वैसे ही धूल गए जैसे गंगाजल छीट लेने से पापियों के पाप...


खैर बबाल की असली जड़ ये कतई नही है, बबाल की जड़ उस मियाजी के ट्वीट से हुई है, जिसमे उन्होंने जोमैटो को ये कहते हुए लताड़ा की, उसे झटका मीट दिया जा रहा है या हलाल इसकी जानकारी आर्डर करते वक्त नही दी गई । जोमैटो ने इस ट्वीट पर सॉरी बोला और मियाजी का सारा पैसा रिफंड भी किया, ऊपर वाले केस में ऐसा नही हुआ...बल्कि जोमैटो ने लिखा कि खाने का कोई मज़हब नही होता ।

अब बात मुद्दे की... 90 फ़ीसदी मुसलमान आज भी मंदिरों के प्रसाद नही खाते, झटका मीट को हाथ नही लगाते, रामदेव का प्रोडक्ट नही खरीदते और तो और मदरसा में इस्कॉन के मध्याहन भोजन को भी अस्वीकार कर देते हैं । इनके लिए खाने का मज़हब है और धर्म भी ।

खैर...पण्डितजी को गलत बताने की होड़ सी लगी हुई है, ट्वीटर पर उन्हें अनाज और पेट्रोल तक नही लेने की अपील की जा रही है, ज्यादातर हिन्दू भारत के धर्मनिरपेक्ष वाले कॉलम को सोशल मीडिया पर सार्थक करने में लगे हुए हैं । आपको बता दें कि ये वही लोग हैं जिन्हें केसरिया हिन्दू और हरा मुसलमान दिखता है । बाँकि जो है वो तो हइये है...

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