समझे जब
महिमा चुनाव
की कुद पड़े है ।
खादी कुरता
पहन के बांचते
झूठ पुलिंदा ।
बदले रंग
गिरगिट के जैसे
आया चुनाव ।
पका पुलाव
गरीबो के घर
में आया चुनाव ।
सारे कमीने
मरने के बाद
ही बनते नेता ।
है होशियार
फिर भी नही देते
अपना वोट ।
रालोसपा भी
नमोनिया मरीज
मोदी लहर ।
रामविलास
पकड़ लिए हाथ
जला चिराग ।
पांच साल से
सब रहै है चुप
लेंगे बदला ।
गीरीराज जी
मुंह के बाबासीर
रखिये बंद ।
सिद्दकी साब
करवाया कमाल
विधायको से ।
लालू राजद
गिरके ऑंधे मुह
लगे हांफने ।
जले चिराग
फिर खिले कमल
असमंजस ।
सीधी टक्कर
भाजपा राजद की
है इस बार ।
लड़ेगी मीसा
फिर जीतेंगे लालू
पाटलिपुत्र ।
हुए हैं बागी
राबड़ी सुपुत्री से
रामकृपाल ।
रामकृपाल
चले बीजेपी राह
खिला कमल ।
वाहहहहह झा साहब!
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