Sunday, May 1, 2022

मिथिला भाषा रामायणक वैशि‍षट्य




रामायण हिन्दू धर्मग्रन्य थिक। एकर पाठो सँ धर्म होइत छैक एह धारणा लोकक अछि। मिथिला भाषा रामायण कवीश्वर चन्दा झाक प्रमुख कृति थिकनि। मिथिला में जनसाधारण पर हिनक ख्याति मुख्यतः एहि‍ पर आधारित छनि। एकर प्रकाशन 1892 ई० मे भेल। किन्तु ई लिखल गोल छओ वर्ष पूर्वहि ।

ई पुराण नहि, पौराणिक महाकाव्य थिक । एकर अद्यावधि सात गोट संस्करण प्रकाशित भेल अछि। एकर पहिल संस्करण कवीश्वरक जीवन काल में प्रकाशित भेल छल। पहिल म०म० चित्रधर मिश्रक तत्वावधान मे छपल छल जकर परिशिष्ट मे मिथिलाक कतिपय ख्यात, अल्पख्यात आ अज्ञात विद्वानक सूची एवं वश-परिचय अछि। प्रथम संस्करण अप्राप्य अछि। दोसर संस्करण कवीश्वरक मृत्युक पश्चात म० म० चित्रधर मिश्रक सम्पादकत्व मे प्रकाशित भेल जकर भूमिका मे एहि विषयक उल्लेख अछि, मुदा मुद्रण-तिथि नहि देल गेल अछि। अनुमानतः 1908 ई० सँ 1910 ई० क मध्य प्रकाशित भेल होएत । तेसर राजपण्डित बलदेव मिश्रक सम्पादकत्‍व मे 1927-28 ई० में प्रकाशित भेला । चारिम गुटका संस्करण पं० शशिनाथ झाक सम्पादन में 1948 ई० में प्रकाशित भेल। पाँचम बलदेव मिश्र आ रमानाथ झाक सम्पादन मे 1955 ई० में छपल ई सर्वाधिक शुद्ध संस्करण अछि। छठम मैथिली अकादमी 1977 ई० में पांचव संस्करण के आदर्श मानि प्रकाशित कएलक। एहि में चन्दा झाक चित्र आ हस्तलिपिक फोटो स्टेट कापी सेहो अछि।

मिथिला भाषा रामायणक सातम आकर्षक संस्करण साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली द्वारा 1999 ई० में प्रकाशित कएल गेल अछि। श्रेष्‍ठ साहित्यक पुनः प्रकाशन योजनाक अन्तर्गत अकादमी द्वारा प्रकाशित एहि नवीन संस्करण में डॉ० रामदेव झा लिखित गवेषणात्मक भूमिका मे कवीश्वर ओ हुनक साहित्यिक सम्बन्ध में अनेकशः नवीन तथ्य आ सूचना देल गेल अछि। एहू संस्करणक आधार राजपण्डित बलदेव मिश्र ओ रमानाथ झाक सम्पादन में 1955 ई० में प्रकाशित संस्करण अछि।

विवेच्य रामायण सात काण्ड में विभक्त अछि। प्रत्येक काण्ड में अनेक अध्याय छैक आरंभ में संस्कृत श्लोकमे वन्दना अछि। सम्पूर्ण ग्रन्थमे चौपाइ एवं दोहा छन्दक प्रधानता अछि किन्तु बीच बीच अनेकानेक छन्दक प्रयोग सेहो कएल गेल अछि । एकर भाषा सहज वर्णन शैली मोहक किन्तु कथा प्रवाह तीव्र अछि। एहि ग्रन्थक सफलताक पाछा कोन कोन तत्व अछि, ताहि प्रसंग डॉ० जयकान्त मिश्र कहैत छथि -

Wonderful mastery over the language, interspersed with appropriate proverbs, idioms and figures of speech, traditional Mithila enchanting rhythm and March of the lives and waters living characterization love of details, spiritual conviction of the ultimate victory of good over evil all these contributed of this success.

डॉ० जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सनक उक्ति छनि-Pandit chandranath Alice Chanda Jha whom I now to be one of the most learned men in part of India.

कवीश्वर चन्दा झा विरचित 'मिथिला भाषा रामायण के मैथिली भाषाक गौरव-ग्रन्थ सिद्ध करैत डॉ० रामदेव झाक कहब छनि - मिथिला भाषा रामायण कवीश्वर चन्दा झाक एहन महान एवं गम्भीर प्रबस्थ-रचना थिकनि जे हुनका पूर्ण यशस्वी ओ चिरस्मरणीय बनाए देलकनि। मैथिली साहित्यक ई गौरव-ग्रन्थ भारतीय वाड़मयक रामायणीय परम्परा मे सेहो एकटा स्थान बनाए लेलक अछि। मिथिला भाषा रामायण में गम्भीर दार्शनिक चिन्तक संगति काव्य तत्व ओ लोक तत्वक अद्भुत समन्वय भेल अछि। विभिन्न प्रसंग मे कविक कतोक मौलिक उद्भावना अतिशय चमत्कारपूर्ण अछि। प्रबन्धोपयोगी चौपाई, दोहा ओ सोरठाक अतिरिक्त पारम्परिक वार्णिक, मात्रिक मिथिला देशीय रागाधृत, विभिन्न भास ओ गीति-रीतिक शतधिक प्रकारक छन्दक प्रयोग ने केवल चन्दा झाक कवि कर्मक सिद्धहस्तताक घोतक अछि, अपितु ई मिथिला भाषा रामायणकेँ भारतीय भाषाक अन्य रामायण सँ भिन्ने ओ विशिष्ट बनाए देने अछि। पाठ्यधर्मी छन्दक संगहि राग-भास-बद्ध गेय गीतक समावेश, लोकप्रचलित सहज भाषा, लोकोक्ति-उपलक्षण इत्यादिक विशद प्रयोग एवं विविध धार्मिक प्रसंग ओ सम्वाद सभक कारण ई काव्यकृति अपन रचना-कालहि मे लोकप्रिय भए जनजीवन मे बसि गोल।

रामायणक रचनाकेँ ओकरा प्रकाशमे आनि कवीश्वर से प्रतिष्ठाक प्राप्त कयलनि जे विद्यापतिक पश्चात मैथिलीक आन कोनो कविके नहि भेटलनि । कवीश्वरक रामायणमे कल्पना-तत्व ततेक प्रबल नहि अछि जतेक बुद्धि‍-तत्व अथवा विचार तत्व । रामायणक कथावस्तु अधिकांशत: अध्यात्मक रामायणक शब्द नहि तँ छाया रूपेँ अनुवाद थिक, जे ठाम-ठाम किंचिंत आयासपूर्ण लगैत अछि । कवित्वक दृष्टि सँ ई एक गोट महत्वपूर्ण रचना छनि । रामक चरित लए एतेक गोट महाकाव्यक जाहि मे भक्ति भावना एतेक प्रबल अछि, योग दर्शन एहन सुन्दर प्रतिपादित अछि, लोकोक्ति ओ स्वाभावोक्ति एहन विलक्षण विन्यास जे कवीश्वर रचलनि ई सवर्था अभिनव वस्तु छलनि ।

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