- सुन्दर संयोग का मंचन
- नए कलाकारों ने दी अद्भुत प्रस्तुति
- मलंगिया महोत्सव की घोसना
आशा के अनुरूप श्रीराम सेंटर खचाखच भरा हुआ था, दर्शको की भीड़ दिल्ली में मैथिल स्वर को गुंजायमान कर रही थी की मंच पर अवतरीत हुए संतोष....नट की भूमिका में आये संतोष को देख दर्शक अपनी हंसी रोक ना सके और पूरा ऑडिटोरियम हंसी की झंकार से धमक उठा। रही सही कसर नटी बने प्रवीण ने पूरा कर दिया, प्रवीण के हरेक ठुमके और हरेक इशारे पर हंसी का फुव्वारा और तालियों की गडगडाहट गूंजती थी। इन दोनों के मनोरंजन ने दर्शको को पेट पकड़कर लोट-पोट होने पर विवश कर दिया। फिर एक एक कर मंच पर बांकी कलाकार आये, अनिल मिश्रा, नीरा, ज्योति और बबिता ने भी अपनी सुन्दर आदकारी से दर्शको का मन मोह लिया। मुख्य भूमिका में सुन्दर बने अमर जी राय और सरला बनी सोनिया झा ने कमाल का अभिनय किया। ज्ञात हो की अमरजी राय ने मैलोरंग से ही अपनी कैरियर की शुरुआत की थी २००६ में काठक लोक से रंगमंच पर आये अमरजी राय मैलोरंग द्वारा निर्देशित जल डमरू बाजे में मुख्य भूमिका में थे। पिछले वर्ष स्कॉलरशिप मिलने के कारण एक वर्ष के अभिनय प्रसिक्षण के लिए आप मध्यप्रदेश गए और अभिनय की बारीकियो से अवगत हो पुनः मैथिली रंगमंच की और मूड गए, प्रसिक्षण के बाद 'सुन्दर संयोग' उनका पहला नाटक हैं। वहीँ सरला इससे पहले हिंदी रंगमंच के साथ जुडी थी और कुछ छोटे-छोटे अभिनय करती थी। मैथिली रंगमंच पर उनका ये पहला प्रयास हैं। लेकिन अपने पहले ही प्रयास में वो दर्शको के दिल में उतर गयी और अपनी पहली परीक्षा में शत-प्रतिशत पास हुई। सरोजनी की भूमिका में बबिता प्रतिहस्त ने भी अच्छा अभिनय किया, ज्ञात हो की बबिता का ये पहला अभिनय था रंगमंच पर। वैसे प्रकास जी की ये खासियत रही हैं की वो नए से नए कलाकारों से भी अच्छा अभिनय करवा लेते हैं, एक मंजे निर्देशक होने के सारे गुण इनमे विद्यमान हैं।
स्त्री समस्या को समाहित किये सुन्दर संयोग का ये मंचन सचमुच में अद्भुत रहा। अंत तक दर्शक अपने कुर्सी से चिपके रहे। बधाइयों का ताँता लगा रहा। अंत में हरेक बार की तरह जैसा की मैलोरंग में होता आया हैं। अपने एक नाटक के सम्पति के बाद दुसरे नाटक के मंचन की घोसना... प्रकाश जी ने समय और दिन तो नहीं बताया लेकिन ये अवस्य सुनिश्चित किया की अक्टूबर में उनका अगला मंचन होगा। साथ ही मलंगिया महोत्सव की भी पुनः घोषणा की जो २४-३० दिसम्बर तक होगा। एक शब्द में कहू तो सुन्दर रहा 'सुन्दर संयोग'।
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