Sunday, April 1, 2012

ऐसा क्यों होता हैं?

ऐसा क्यों होता हैं? क्यों हो जाते है लोग उत्तेजित छोटी सी बात पर ? समझ में नहीं आता???  कभी लगता है मेरे में कुछ खामिया है, कभी लगता है सामने वाला जाहिल है। आखिर क्यों नहीं कोई समझ पाता मेरी भावनाओं को, क्यों उन्हें लगता है की वो जो कर रहा हैं वो ही सहीं है और पूरी दुनिया गलत...? क्यों लोग समझते है की दुसरो का ज्ञान बहुत अल्प है मेरे ज्ञान के आगे ? क्यों ऐसा होता है की दुनिया मानिनी बनी हुई है? क्यों हम कभी दुसरो को समझ नहीं पाते ? ऐसे कुछ ढेर सारे सवाल आज मन में कूद रहे हैं, रविवार होने के वाबजूद कार्यालय आया हूँ क्या करू निजी दफ्तरों में कुछ ऐसा ही हाल हैं अभी भारत में। आप गुलाम होते है और मालिक जमींदार कभी भी उनके पेट में ऐठन हुई और आप हुकुम बजाने सामने आ जाओ... कुछ ऐसा ही आज भी हुआ, सॉफ्टवेर की टेस्टिंग थी ऑफिस आना पड़ा, सोचा चलो घर में पड़े पड़े बोर हो रहे हैं तो ऑफिस में दिन अच्छा गुजर जाएगा, लेकिन यहाँ आकर लगा बेकार ही आ गया हूँ, वो आज फिर ऑफिस में टकरा गया, हालाँकि हमारी बातचीत कम ही होती है लेकिन जब भी होती है कुछ नोक-झोंक वाली ही होती हैं, उसे अपने आप पर गर्व है और मुझे खुद पर.... हो भी क्यों ना हम किसी से कम थोड़े ही हैं, बिहारी होने का जो तमगा सर पे लगा है उसे शायद कुछ हद तक धोने में कामयाब हो गया हूँ, अब लोग समझने लगे है की बिहार किसी से कम नहीं होते कुछ ज्यादा ही होते हैं, लेकिन फिर भी वो अधूरापन और वो खालीपन आज भी मुझे खलता है जब लोग किसी मजदूर बिहारियों को दिखा हमरा मजाक उड़ाते हैं। पता नहीं लोगो को नीचा दिखाने में क्या मिलता है, किस सुख की अनुभूति होती है उन्हें ऐसा करने में, क्या मिलता है उन्हें इस तरह किसी का मजाक उड़ने में लेकिन...। आज फिर एक बार उसने मुझे निचा दिखाने की कोशिश की मेरी खिल्ली उड़ाने की कोशिश की लेकिन सच कहू तो मुझे बुरा नहीं लगा, मुझे विस्मय हुआ उसकी अज्ञानता पर मुझे दुःख हुआ उसके व्यहार पर और जब मैंने इसे अनतर्मन से सोचा मैं खुद ही सहज हो गया...
लेकिन एक बात है मेरे मन में हमेशा से एक बात टीस बनकर उभरती रहती हैं, दर्द बनकर मुझे कहती रहती हैं क्या ये मेरी गलती थी की मैं बिहार में पैदा हुआ हूँ, क्या ये मेरा दुर्भाग्य है की मैं वहां पैदा लेने के बाद भी दिल्ली में काम कर रहा हूँ....। नहीं ढूंढ़ पाया हूँ आज तक इसका उत्तर, नहीं कर पाया हूँ अपनी जिजीवषा को शांत, सिर्फ इस ख्याल में जिन्दगी जिए जा रहा हूँ की कभी तो होगा मेरा सपना पूरा, कभी तो मिलेगा बिहारियों को सम्मान...


उपरोक्त सारी बातें मेरे साथ घटित हुई हैं, सोचा लिख दूंगा तो मन हल्का हो जाएगा, सोचा कभी आप सबके साथ शेयर कर लू तो कुछ कम होगा दर्द, कही पढ़ा था बाटने से ही दर्द कमता है और ख़ुशी बढती हैं ....

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