Thursday, June 21, 2012

धुल खा रही तालाब सोंद्र्यीकरण की योजना

दरभंगा - एतिहासिक हराही तालाब को आकर्षक पर्यटक स्थल बनाने की परियोजना सरकारी कार्यालयों में धुल खा रही हैं। सोंद्र्यीकरण के लिए राज्य के पर्यटन मंत्रालय ने तालाब को एक आकर्षक पर्यटक स्थल बनाने का निर्णय लिया था जिसे लिए प्रथम चरण में विभाग ने २३ लाख रूपये आवंटित किये थे।
इस पैसो से विभाग ने प्रथम चरण में कुछ काम भी किये जैसे तालाब के पश्चिमी किनारों पर सीढ़ी और घाट का निर्माण ताकि लोगो आसानी से नहा सके। संग ही कुछ पेड़ पौधों भी लगाये, जो सही रख रखाव के ना होने के वजह से दम तोड़ रही हैं।
जबकि के काम पुरे तालाब के सोंद्र्यीकरण के लिए काफी नहीं हैं, राज्य सरकार ने कोई अतिरिक्त धन इस योजना के लिए आवंटित नहीं किये जिसके परिणामस्वरूप अक्टूबर २०१० से ही इसका कार्य रुका पड़ा हैं। सरकारी सूत्रों के अनुसार प्रथम चरण में दिए गए फंड का सही इस्तेमाल नहीं किया गया जिस कारण से इसके अतिरिक्त फंड को रोक कर रखा गया हैं।
जिले के वर्तमान जिला अधीक्षक संतोष कुमार मल ने अपने पहले प्रेस कांफ्रेंस में कहा था की हराही तालाब को शहर का सबसे आकर्षक पर्यटक स्थल बनाया जाएगा। साथ ही यहाँ मोटरबोट की भी सुविधा दी जाएगी ताकि पर्यटक बोटिंग का आनंद ले सके। उन्होंने कहा था की तालाब के बीचो-बीच लकड़ी का के घर बनाया जाएगा ताकि पर्यटक को अपने घर के आस पास जल विहार जैसा आनंद मिल सके। शुरू शुरू में इस योजना को लोगो ने बहुत सराहा था और हर जगह इसकी प्रशंसा भी हुई थी लेकिन तेरह महीने बाद भी ये परियोजना ठंढे बस्ते में पड़ी हुई हैं।
ज्ञात हो की हराही दरभंगा के तीन बड़े तालाबो में से हैं दुसरे और तीसरे नंबर पर दिगी और गंगा सागर तालाब हैं। ललित नारायण मिश्रा जब रेल मंत्री थे तब उन्होंने एक सपना देखा था की इन तीनो तालाबो का भूमिगत मिलान हो जो पर्यटन और बोटिंग के लिए आकर्षक का केंद्र हो।
केंद्र सरकार ने इस बाबत जिला प्रशासन को एक पत्र भी लिखा था की इस परियोजना का एक प्रारूप तैयार कर केंद्र सरकार के पास अनुमोदन के लिए भेजे, लेकिन जिला प्रशाशन के आलसीपन और ललित बाबू की आसमयिक मृत्यु के बाद ये योजना भी ठंढे बस्ते में चली गयी।
हराही तालाब का निर्माण १९३४ में आयें भूकंप के बाद रेलवे स्टेशन के पश्चिम में बसे लोगो की पानी के जरुरत के लिए तात्कालिक दरभंगा महाराज ने किया था। लेकिन आज की तारीख में ये तालाब लोगो के नालो का निकास बनकर रह गया हैं। लोग ना इसका सिर्फ गलत इस्तेमाल कर रहे हैं बल्कि इस अनावश्यक रूप से गन्दा भी कर रहे हैं।
आज हराही तालाब को एक भागीरथी प्रयास की जरूरत हैं ताकि इसका पुनरुत्थान हो सके, जरुरत हैं इसके विकास की ताकि ललित बाबु ने जो सपना देखा था वो साकार हो सके हैं, और इसके लिए हमें किसी जिला प्रशासन, राज्य सरकार या केंद्र सरकार की जरुरुत नहीं बल्कि खुद आगे आना होगा ताकि हमारा दरभंगा फिर से उसी तरह हो सके जिस उचाई पर यह था


No comments:

Post a Comment

आपकी प्रतिक्रिया सादर आमंत्रित हैं