Wednesday, May 21, 2014

गुजरात एक सच

गुजरात के विकास को एप्को के चश्में से देखने वालों के लिए एक छोटा सा प्रयास । बहुत से ऐसे लोग है जिसको गुजरात देश में सबसे ज्यादा विकसि‍त राज्य लगता है । दरअसल और एप्को और मीडिया जो दिखाना चाहती है हम वही देख पाते हैं । गुजरात मॉडल को देश में लागू करने से पहले गुजरात के विकास के आंकड़े पर डालते है एक नज़र ।

विकास का पोल
आर बी आई के ताजा आकड़े के मुताबिक गुजरात का हिस्सा देश के कुल एफडीआई में मात्र 2.38 प्रतिशत है । 2000 से 2011 तक गुजरात को सात हज़ार दौ सौ करोड़ का विदेशी निवेश मिला जबकी वहीं महाराष्ट्रा को पैंतालिस हजार आठ सौ करोड़ डॉलर मिला । यानी गुजरात के मुकाबले छ: गुणा ज्यादा । तथ्यात्मक आंकड़े बताते है कि मोदी के मुख्यमंत्र‍ित्व काल में 8300 एमओयू को साईन कराने के लिए गुजरात सरकार ने एक अमेरिकन फर्म जिसका नाम- एप्को वर्ल्ड वाईड है, को रखा करोड़ो रूपये की फीस देकर । ओर यही एपको वर्ल्ड वाईड का काम मोदी के लार्जर देन लाईफ पोलिटिशि‍यन बनाना है । इनके पीआर का काम भी यही देखता है । यह बात इनके बेवसाईट पर भी देख सकते हैं । हमेशा ग्रोथ रेट की बात करने वालें मोदी के गुजरात से आगे और भी कई राज्य है । सिक्क‍िम – 1995 से 2002 तक 6.30 था जोकि 2004 से 2012 में 12.62 प्रतिशत हो गया यानी ग्रोथरेट में 100 प्रतिशत की बढ़ोतरी । उत्तराखंड 1995 से 2002 तक 4.61 था जोकि 2004 से 2012 में 12.37 प्रतिशत हो गया यानी ग्रोथरेट में 168 प्रतिशत की बढ़ोतरी । और गुजरात 1995 से 2002 में 6.48 था जोकि 2004 से 2012 में 10.68 प्रतिशत यानी ग्रोथ रेट में मात्र 56 प्रतिशत की बढ़ोतरी जबकि सिक्क‍िम, उत्तराखंड, महाराष्ट्रा, हरियाणा जैसे राज्य काफी आगे निकल गए । मेादी के गुजरात में 60000 से ज्यादा लघु उद्योग बंद हो गए हैं । केंद्रीय सांख्य‍िकी कार्यालय के एनुअल सर्वे बताता है कि महाराष्ट्रा और आंध्रा में ज्यादा फैक्टरी और ज्यादा नौकरियां है । कहा जाता है कि गुजरात विकास क मॉडल इंडस्ट्रीयल विकास पर आधारित है और वहां उद्योग का ये हाल है ।
Source : Director, Department of Economics and Statistics, Government of Gujarat.2011-12), Director, Department of Economics and Statistics, Government of Gujarat. & Report by reserve bank of India.2011-12, TIMES NEWS NETWORK, 25th Jan 2013), UNDP human development report to UN-2011-12, National Sample Survey,

गुजरात में रोजगार
नेशनल सेंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन का डाटा बताता है कि पिछले 12 सालों में गुजरात में रोजगार का विकास दर घट कर शून्य हो गया है । ग्रामीण गुजरात की तो और बुरी हालत है । ग्रामीण किसान तत्कालिक पैसे के लोभ में पड़कर अपनी जमीन बेच देते हैं और बहुत जल्द वे किसान से बेरोजगार की श्रेणी में आ जाते हैं ।

मोदी ये दावा करते हैं कि 2009 में 25 लाख रोजगार पैदा किये गए । जबकि प्लानिंग कमीशन का इंप्लॉयमेंट रिपोर्ट का पेज नं० 126 कहता है कि प्रमुख सेक्टरों में इंप्लाय लोगों की संख्या जो 2004-05 में 25.3 मिलियन था वह 2009-10 में घटकर 24.0 रह गया है । हाल ही में 1500 सरकारी नौकरी के लिए 13 लाख लोगों ने अप्लाई किया है और मोदी कहते है गजरात में बेरोजगारी की समस्या समाप्त हो गयी है । मोदी कहते हैं कि गुजरात में बेरोजगारी की समस्या समाप्त हो गयी है । जबकि गुजरात मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी देने के मामले में भी देश के अन्य राज्यों से 14 पायदान नीचे है । मनरेगा को अगर छोड़ दें तो नेशनल सेंपल सर्वे ऑर्गनाईजेशन NSSO के 2011 के रिपोर्ट के मूताबिक शहरों में दिहारी पर काम करने वाले मजदूरों की मजदूरी गुजरात में 106-115 रूपये है जबकि केरला में 218रू है । और देहात में दिहारी मजदूर की मजदूरी गुजरात में 83रू है जबकि पंजाब में 152रू । गुजरात वेतन देने के मामले में भी अन्य राज्यों के मुकाबलें 12वें पायदान पर है । NSSO के ताजा आंकड़े के मुताबिक गुजरात में वेतन/सैलरी पाने वाले लोगों का औसतन एक दिन की कमाई 311रू है जबकि इसका राष्ट्रीय औसत 411रू है ।
Source : RTI filed by Vinod Pandya GOG reply to RTI, 2011-12, Planning Commission Report-2012-13, Report by NASSO on poverty 2012-13, CAG Report 2011-12

गुजरात में कृषि‍
मोदीजी का दावा है कि पिछले दस सालों में गुजरात का कृषि‍ विकास दर देश के सभी राज्यों में उत्तम रह है । जबकि असलियत यह है कि प्लानिंग कमीशन का स्टेटवाईज कृषि‍ सेक्टर का विकास आंकड़ा देखते हैं तो पता चलता है कि 2005 से 2012 के बीच में गुजरात का कृषी क्षेत्र में विकास 6.47 प्रतिशत रहा जबकि बिहार का 15.17 प्रतिशत, पांडिचेरी का 9.95 प्रतिशत, झारखंड का 7.99 प्रतिशत, महाराष्ट्रा का 7.74 प्रतिशत और छत्तीसगढ़ का 7.29 प्रतिशत के दर से विकास हुआ । साफ है कि कृषि‍ के मामले में भी गुजरात छठे पायदान पर है । गुजरात में फर्टिलाईजर पर भी 5 प्रतिशत का वैट लगता है जो कि भारत में सबसे ज्यादा है । मार्च 2011 से 455885 किसानों का कृषि‍ के लिए बिजली की कनेक्शन का आवेदन लंबित है ।
Source : Gujarat economics and statistics department, govt.of Gujarat And Times Of India http://timesofindia.indiatimes.com/city/ahmedabad/Gujarat ranked-8th-in-agricultural-growth Centre/articleshow/20040305.cms?intenttarget=novia @Archive Digger, Ministry of agriculture, Gujarat,2010-11-12)

गुजरात में शि‍क्षा की दशा
एजुकेशन डेवलपमेंट इंडेक्स 2012-13 के अनुसार देश के कुल देश के कुल 35 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में में 29वें स्थान पर आता है । वैसे अगर ओवर ऑल रैकिंग किया जाय – जिसमें शिक्षक छात्र का रेशि‍यो, शि‍क्षण योग्य उचित भवन, आबादी के अनुसार छात्रों का दाखि‍ला इत्यादि‍ के अनुसार तो गुजरात और नीचे फिसल कर 34वें पायदान पर आ जाता है । गुजरात में अपर प्राइमरी लेवल पर स्कूल छोड़ने का प्रतिशत 29.3 है जबकि देश में इसका प्रतिशत 6.6 है । मोदी जी अपने भाषण में साक्षरता दर की बात कर रहे थे, पर यह बताना भूल गए कि गुजरात में सरकारी स्कूलों की हालत कैसी है ? क्या पढ़ाया जाता है इन स्कूलों में ? कैसे इतिहास को तोड़-मरोड़ कर बच्चों को पेश किया जा रहा है ? गुजरात के बच्चे गांधी के जन्म दिवस तक गलत जानते हैं । गुजरात ही के एक गैर सरकारी संगठन ‘’प्रथम’’ के मुताबिक ग्रामीण गुजरात में करीब 95 फीसदी बच्चे विद्यालयों में पंजीकृत हैं, लेकिन ज्ञान का स्तर काफी कम है । पांचवीं कक्षा में पढऩे वाले करीब 55 फीसदी बच्चे दूसरी कक्षा के पाठ्यक्रम नहीं पढ़ पाते हैं । लगभग 65 फीसदी बच्चे ऐसे हैं जो गणित के सामान्य जोड़ घटाव भी नहीं कर पाते हैं । इससे बड़ी शर्म की बात गुजरात के लिए क्या होगी? आप स्कूल टाईम में गुजरात के किसी हाईवे पर चले जाईये आपके स्कूल जाने वाले बच्चें रोड साईड ढ़ाबों और कार वर्कशॉप में काम करते दिख जाएंगे । आगा खां रूरल सपोर्ट प्रोग्राम नाम का एक एनजीओ वहां कई सालों से कई काम रहा है । उसका रिपोर्ट कहता है – गार्जियन अपने बच्चों को स्कूल तो भेजते हैं लेकिन वहां शि‍क्षक आते ही नहीं । आदिवासी क्षेत्र में तो हालत और खराब है । इसके बावजूद गुजरात में मोदी जी का मेनीफेस्टो दावा करता है कि वे 100 प्रतिशत छात्रों को प्राथमिक शि‍क्षा के लिए एनरौल करान में सफल हो गए हैं और स्कूल से पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों का प्रतिशत अब मात्र 2 प्रतिशत रह गया है । इस तथ्य का आंकड़ा जानने के लिए UNDP का ये आंकड़ा देखि‍ये – यूएनडीपी ने गुजरात को देश को 18वें पायदान पर रखा है, छात्रों को स्कूल में टिकाए रखने के मामले में । यूनीसेफ कहता है कि प्राथमिक शि‍क्षा की गुणवत्ता में अभी बहुत सुधार की आवश्यकता है । क्योंकि मुश्किल से आधे बच्चे ही लिख-पढ़ और गणि‍त का सवाल समझा पाते हैं जितना कि उन्हें उनके उम्र के मुताबिक जानना चाहिए । और गुजरात सरकार है कि शि‍क्षा के निजीकरण पर ज्यादा जोड़ दे रही है बजाय शि‍क्षा के ढ़ांचागत सुधार करने के ।
और आखिर में एक बात और… गुजरात मोदी सरकार से पहले भी एक सम्पन्न राज्य रहा है । इसे पहले से एक इंजस्ट्रीयल स्टेट के तौर पर देखा जाता रहा है । ऐसे में बिहार से तुलना कितना जायज है नमोनिया के मरीजों को ये सोच लेना चाहिए ।
Source – Education Development index 2012-13, NGO Pratham, BeyondHeadlines.com, Aga Khan Rural Support Program, UNDP,UNISEF, NASSO Report, GOI, 2011-12 etc

स्वास्थ और पोषण
मजदूरों को कम मजदूरी के परिणामस्वरूप उनकी क्रय क्षमता काफी कम होता है और वे सपरिवार कुपोषण के शि‍कार हो जाते हैं । मिनि‍स्ट्री ऑफ स्टेटिस्ट‍िक एण्ड प्रोगामिंग के आंकड़े के अनुसार 2012 में गुजरात के 40 से 50 प्रतिशत बच्चे अंडरवेट थे । वहीं ह्यूमन डेवलेपमेंट रिपोर्ट 2011 भी कहता है कि गुजरात के आधे बच्चे कुपोषण के शि‍कार हैं । शि‍शु मृत्यूदर जो कि किसी भी प्रदेश के विकास का असल पैमाना होता है, गुजरात इसे रोकने में भी फिसड्डी साबित हो रहा है । शि‍शु मृत्यू दर रोकने में गुजरात का स्थान देश में 11वां है । गुजरात में प्रति हजार बच्चा जो जन्म लेता है उसमें 44 बच्चें तत्काल मर जाते हैं । यूनीसेफ 2012 के अपने राज्यवार रिपोर्ट में कहता है कि पांच साल के उम्र का हर दूसरा बच्चा कुपोषि‍त है और चार में से तीन बच्चा एनीमिया का शि‍कार है । बाल विवाह में भी गुजरात देश में चौथे नंबर पर है । स्वास्थ सेवाओं पर खर्च में गुजरात कोई खास मुकाम नही पा सका है । 1990 से 1995 के बीच जो गुजरात स्वास्थ सेवाओं पर 4.25 प्रतिशत खर्च करता था वो अब 2005 से 2010 में घटकर 0.77 प्रतिशत रह गया है । राज्य बजट में स्वास्थ पर खर्च करने के मामले में गुजरात नीचे से दुसरे पायदान पर है ।
Source : Planning Commission Report-2012-13, Central Bureau of Health Intelligence, UNDP report on global hunger 2009-10


गुजरात में गरीबी
NSSO के मुताबिक गरीबी धटाने में गुजरात उड़ीसा से भी पीछे है । 2010-14 के बीच उड़ीसा में 20 प्रतिशत की दर से गरीबी कम हुआ है और गुजरात महज 8.6 प्रतिशत लोगों को गरीबी रेखा से बाहर ला पाया है । राज्य का कुल ऋण 10 हजार करोड़ का है । जब 1995 में मोदी जी पहली बार सत्ता में आए तब गुजरात का एक्चुअल ऋण 45301 करोड़ था । 2011 का सेंसस बताता है कि मात्र 43 प्रतिशत लोगों को अपने घरों में पानी मिलता है बांकि सबको कहीं और से पानी का प्रबंध करने जाना पड़ता है । गुजरात प्रशासन के ही सेवा निवृत अधि‍कारी ने प्रतिष्ठ‍ित पत्रिका फ्रंटलाईन को कहा है – ‘’मोदी रन्स गुजरात लाइक शॉपकीपर । प्रोफिट एंड लॉसेज आर मेजर्ड ओनली इन इकोनोमिक एंड मोनिटरी टर्म । द लार्जर पिक्चर ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट एंड आई इंक्लूड द एनवारमेंट इन दिस, इस कंप्लीटली इग्नोर्ड नॉट नेग्लेक्टेड, माइंड यू । इट इज विलफूली इगनॅार्ड।‘’ अर्थात ‘’मोदी गुजरात को दुकानदार की तरह चलाते हैं । नफा और नुकसान को सिर्फ इकोनॉमी और मुद्रा के पैमाने पर तौलते हैं । मानव विकास का असल तथा बृहद स्वरूप और मैं इसमें पर्यावरण को भी शामिल करता हूं, को पूरी तरह से द‍रकिनार कर दिया गया है । जान बूझ कर और सोच समझ कर । परिणाम स्वरूप प्रदूषि‍त शहरों के मामले में भी गुजरात 13वें पायदान पर है । गुजरात के वापी तथा अंक्लेश्वर तो देश के सबसे दो प्रदूषि‍त जहगों में से एक है । शौचालयों के उपयोग में भी गुजरात का स्थान दसवां है । गुजरात के 26 जिलों में से 57 ब्लॉक डार्क जोन में आते हैं । सेसंस 2011 के अनुसार गुजरात के 1.75 करोड़ लोगों को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिलता । 2001 में गुजरात की गरीबी 32 प्रतिशत था जो 2011 में बढ़कर 39.5 प्रतिशत हो गया । हरेक सौ लोगों में से 40 लोग गरीब है । गरीबी उन्मूलन भी गुजरात सबसे कम है आंकड़े बताते है कि गुजरात में ये प्रतिशत सिर्फ 8.6 प्रतिशत रहा है । गुजरात का पर्यटन का इतना व्यापक प्रसार-प्रचार करने के बाद भी गुजरात में टूरिज्म का विकास मात्र 13 प्रतिशत हुआ है जिसे मोदी जी 16 प्रतिशत बताते हैं । अगर ये 16 प्रतिशत भी मान लें तो भी देश के औसत पर्यटन मे हुई बृद्धि‍ से कम ही है । देश में 19 प्रतिशत का विकास हुआ है । और देशी आगंतुकों की बात करें तो कुल दस राज्यों में गुजरात 9वें स्थान पर आता है ।
Source : Director, Department of Economics and Statistics, Government of Gujarat. & Gujarat assembly question hours2011-12, National Sample Survey 2011-12, Ministry of Agriculture, Gujarat and Annual Report Narmada Nigam, 2011-12, National Sample Survey, Report by NASSO on poverty 2012-13)

गुजरात में करप्शन

पुरषोत्म सोलंकी के 400 करोड़ रूपये का मछली घोटाले वाले जनाब मोदी जी के ही मंत्रीमंडल में ही हैं । लोकायुक्त का मामला पूरी दुनियां को पता है । वैसे आनन-फानन में उन्होने गुजरात लोकायुक्त आयोग का गठन किया । ऐसा आयोग जिसमें लोकायुक्त मोदीजी खुद चुनेंगे और ये लोकायुक्त इनके तथा इनके मंत्रीयों की जांच नहीं कर सकते । हाईकोर्ट के चीफ जस्ट‍िस और राज्य के राज्यपाल का लोकायुक्त के नियुक्त‍ि की शक्त‍ि नहीं है । ये कैसा मॉडल ऑफ गवर्नेंस है । आज भी लोगों को सरकारी नौकरी, बीपीएल काई यहॉं तक कि औधोगिक लाइसेंस लेने में भी घूस देना पड़ता है । नर्मदा डैम की उंचाई बढ़ाए हुए भी 9 साल हो गए लेकिन कच्छ के लोगों को अभी तक पानी नहीं नसीब हुआ । किसानों से बाजार मूल्य से भी सस्ती दरों पर जमीन लेकर अंबानी को 1 रू के भाव से दे दिया गया । गुजरात के आधे से ज्यादा गांवों के प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र बंद पड़े है । और जिला अस्पतालों में चिकित्सा के साधन नहीं है । गुजरात में बिना टेंडर के 13 रू के दर से सोलर पावर खरीदे गए जबकि वही सोलर पावर मध्यप्रदेश और कर्नाटक में टेंडर करने के बाद 7.5 रू और 5.5 रू में खरीदा गया । पिछले सालों में गुजरात में 800 से ज्यादा किसान फसल का समर्थन मूल्य नहीं मिलने के कारण आत्महत्या को मजबूर हो गए । बिजली कनेक्शन के 4 लाख किसानों के आवेदन लंबित पड़े है और मोदी जी कहते हैं कि पूरे गुजरात में बिजली लग गई है ।

गुजरात में अल्पसंख्यकों की स्थ‍िती

काश ! मोदी जी सच्चर रिपोर्ट के इस बात को भी बता पाते कि उनके गुजरात में सबसे अधिक मुसलमान नौजवान जेलों में बंद हैं । यह बात खुद हाल-फिलहाल में राजेन्द्र सच्चर साहब भी बता चुके हैं । सच्चर साहब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश से मिलकर यह भी कह चुके हैं कि गुजरात के जेलों में बंद अधिकतर मुस्लिम युवा उत्तर प्रदेश के हैं ।
वहीं नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो 2012 की रिपोर्ट बताती है कि इस साल गुजरात में 932 मुसलमान बच्चों को सज़ा सुनाई दी गई । जो जेल की जनसंख्या का 21 फीसद आबादी है । वहीं 1583 मुसलमान कैदी अंडर ट्रायल हैं, जो जेल की आबादी के 24 फीसद है । वहीं साल 2012 में 151 मुसलमान कैदियों को डिटेन किया गया है, जो गुजरात के जेल की आबादी का 30 फीसद है । यहां के गरीब अल्पसंख्यक छात्रों को छात्रवृत्ति तक नहीं मिल पाती । इससे बड़ा अन्याय यहां के अल्पसंख्यकों के साथ और क्या होगा? काश ! मोदी जी यह भी बताते कि गुजरात के पॉलिटिक्स में मुसलमानों की हिस्सेदारी क्या है ? आलम तो यह है कि गुजरात के दो मुस्लिम विधायको पर भी भाजपा में शामिल होने का दबाव लगातार डाला जाता रहा है । दूसरी तरफ सच्चाई यह कि इसी गुजरात के मुसलमान अपने चंदे से भाजपा को चलाने का काम भी कर रहे हैं । अब यह जानना दिलचस्प होगा कि गुजरात के अमीर मुसलमान पार्टी को चंदा अपनी खुशी से देते हैं या फिर वो आज भी किसी डर में जी रहे हैं । केन्द्र द्वारा अल्पसंख्यकों को दी जाने वाली छात्रवृति जो गरीब अल्पसंख्यकों को अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के लिए दी जाती है और जिसमें केन्द्र और राज्य का प्रतिशत 75:25 है । गुजरात में ऐसे अल्पसंख्यकों की संख्या 52260 है । लेकिन मोदी जी ने केन्द्र को एक प्रपोजल तक नहीं भेजा ताकि इनको सहारा मिल सके । गुजरात के बैंको में मुश्लि‍मों का शेयर 12 प्रतिशत है । लेकिन इनको लोन मिलने का प्रतिशत मात्र 2.6 प्रतिशत है । यूएनडीपी के अनुसार देश के जिन चार राज्यों में मुसलमानों की स्थ‍िती बद से बदतर है उनमें गुजरात भी है । इन चार राज्यों में गुजरात, आसाम, उत्तर प्रदेश, और पश्च‍िम बंगाल है ।
Source : A report by Ministry of Minority Affair,MMA,GOI,2011-12, UNDP human development report to UN-2011-12)

गुजरात में अपराध

सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद 1958 दंगों का जवाब दिया गया । जिसमें सिर्फ 117 केसों में गिरफ्तारी हुई है । जो कुल केस का सिर्फ 5 प्रतिशत है । गुजरात वन अधि‍कार नियम 2006 को लागू करने में 11वें स्थान पर है । गुजरात में प्रत्येक तीन दिन में एक बलात्कार होता है । महिलाओं के अपराध में 39 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है । 60 प्रतिशत महिलाएं अपने पति‍ से और 35 प्रतिशत बेटियां अपने पापा के साथ दुर्व्यवहार का शि‍कार होती हैं । इन सभी अपराधो को छुपाने में गुजरात की मीडिया का बहुत बड़ा योगदान है और सत्ता के लोग उनसे ऐसा करवाते हैं । दरअसल लोगों को वही दिखाई देता है जो सत्ता पक्ष दिखाना चाहता है । वो नहीं दिखता जो हकीकत है ।
Source : An article on Gujarat is not tribal friendly? DNA Ahmedabad, Tuesday, Apr 3, 2012,) A report by NGO Ahmadabad Women Association Gujarat-AWAG-(TIMES NEWS NETWORK, 25th Jan 2013)

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