Thursday, March 13, 2014

कह-मुकरी (होली स्पेशल)



(१)

चढ़ता सबको उसका खुमार
आता जब भी लाता प्यार
प्रेम रंग सी उनकी बोली
ए सखि‍ साजन ?
ना सखि‍ होली ।

(२)

तन भीगे मन भीगा जाय
याद कभी जब उसकी आय
खुशियों की वो रचे रंगोली
ए सखि‍ साजन ?
ना सखि‍ होली ।

(३)

कानो में है मीसरी घोले
अपनी ताल पे जब वो बोले
तन मन जाता दोनो डोल
ए सखि‍ साजन ?
ना सखि‍ ढ़ोल ।

(४)

महक है ऐसी मन भरमाए
चेहरे को जब भी सहलाए
तन-मन दोनो होए अधीर
ए सखि‍ साजन ?
ना सखि‍ अबीर ।

(५)

जब आता वो रंग बरसाता
अपने प्यार से हमे नहलाता
तन-मन भीगे भीगी चोली
ए सखि‍ साजन?
ना सखि‍ होली ।

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