Monday, November 5, 2012

देखा हैं हमने

पत्थरों को रोते देखा हैं हमने
सपनो को बदलते देखा हैं हमने

देखा हैं दिन का ढलता सूरज
और देखा हैं रातो के शुरू को भी

कोरे कागज़ पे निशा देखे हैं हमने
और देखा हैं शिकन हँसते चेहरे पर

हंसी चेहरे के गम को देखा है हमने
और रोया है हमने खुश होने पर

छलकती आँखों को देखा हैं काजल के तले
सिसकते होंठो को देखा हैं भींचते हुए

मुस्कुराते हैं लोग मतलब की दुनिया में
कई चेहरों को देखा हैं, एक चेहरे के पीछे

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